Thursday 18 October 2012

हाइकु / सुषमा भण्डारी

बाजारवाद ,
लेकर आया अब
नए संवाद ।

सहमा घर
है खिलौनों का डर
लगी नज़र ।

शब्द तोल
हृदय को टटोल
सोच के बोल

मुनाफाखोरी
पैदा करता आया
सदा से होरी ।

दिवाली पर्व
मनाएँ कुछ यूं भी
सब हों खुश । 

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