बाजारवाद ,
लेकर आया अब
नए संवाद ।
सहमा घर
है खिलौनों का डर
लगी नज़र ।
शब्द तोल
हृदय को टटोल
सोच के बोल
मुनाफाखोरी
पैदा करता आया
सदा से होरी ।
दिवाली पर्व
मनाएँ कुछ यूं भी
सब हों खुश ।
लेकर आया अब
नए संवाद ।
सहमा घर
है खिलौनों का डर
लगी नज़र ।
शब्द तोल
हृदय को टटोल
सोच के बोल
मुनाफाखोरी
पैदा करता आया
सदा से होरी ।
दिवाली पर्व
मनाएँ कुछ यूं भी
सब हों खुश ।
आज के सच को कहते सुंदर हाइकु ....
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